उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में आगामी पंचायत चुनाव से ठीक पहले AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) आधारित मतदाता सूची जांच में चौंकाने वाली चुनावी धांधली सामने आई है। यहां के जैतपुर गांव में तीन कमरों वाले एक साधारण मकान में 4271 वोटर दर्ज पाए गए हैं । इस खुलासे ने राज्य निर्वाचन आयोग और जिला प्रशासन को हिला दिया है, क्योंकि यह न सिर्फ मतदाता सूची में फर्जीवाड़े की ओर इशारा करता है, बल्कि पूरे चुनावी सिस्टम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करता है। चुनाव आयोग ने तुरंत जांच के आदेश दिए हैं.

यह घटना उस समय हुई जब चुनाव आयोग ने पहली बार AI का इस्तेमाल कर मतदाता सूची का सत्यापन किया। उत्तर प्रदेश में कुल एक करोड़ से ज्यादा संदिग्ध मतदाता पाए गए हैं, जो पंचायत चुनाव से पहले एक बड़ा खतरा बन सकता है। महोबा के इस केस में AI ने घर नंबर और लोकेशन को मैच कर धांधली पकड़ी, जहां एक ही पते पर हजारों नाम जुड़े हुए थे।

क्या आपको भी लगता है कि आपके गांव की मतदाता सूची में ऐसी गड़बड़ी हो सकती है? अगर हां, तो जल्दी से जांच कराएं, क्योंकि पंचायत चुनाव में एक-एक वोट मायने रखता है।

महोबा धांधली के मुख्य तथ्य एक नजर में:

  • तीन कमरों का मकान: जैतपुर गांव में साधारण घर, जहां 4271 वोटर रजिस्टर्ड मिले ।
  • AI की भूमिका: क्रॉस-फील्ड मैचिंग से 40 हजार संदिग्ध नाम महोबा ब्लॉक में ही सामने आए।
  • चुनाव आयोग का कदम: बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) को 48 घंटे में फिजिकल सत्यापन का आदेश दिया गया।
  • राष्ट्रीय स्तर पर असर: यूपी में 1 करोड़ संदिग्ध वोटर, जो राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है।

पिछले साल 2024 लोकसभा चुनाव में भी उत्तर प्रदेश में वोटर सूची में गड़बड़ी के आरोप लगे थे। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने महादेवपुरा जैसे क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर फर्जी वोटर होने का दावा किया था, जहां एक ही कमरे में 80 लोग रजिस्टर्ड मिले। चुनाव आयोग ने इन आरोपों को खारिज किया, लेकिन कहा कि डुप्लिकेशन का मतलब धोखाधड़ी नहीं है। लेकिन महोबा का यह मामला 2024 की घटनाओं से ज्यादा चौंकाने वाला है, क्योंकि यहां संख्या हजारों में है, जो लोकसभा चुनाव के 2.3% ईवीएम मिसमैच रेट से जुड़ती नजर आती है।

चुनाव आयोग की रिपोर्ट्स बताती हैं कि 2015-2020 के बीच ऑफलाइन फॉर्म-6 से हजारों नाम जुड़े, बिना ठीक से सत्यापन के। AI ने अब घर के लैटीट्यूड-लॉन्गीट्यूड को मैच कर यह पकड़ा कि एक ही लोकेशन पर इतने वोटर कैसे? यह न सिर्फ यूपी में, बल्कि कर्नाटक जैसे राज्यों में भी देखा गया, जहां 5,994 वोट चोरी की कोशिश हुई।

क्या आपने कभी सोचा कि पंचायत चुनाव में फर्जी वोट कैसे परिणाम बदल देते हैं? एक ग्राम प्रधान औसतन 900-1200 वोट से जीतता है, ऐसे में 4271 वोट किसी भी गांव का खेल बिगाड़ सकते हैं। चुनाव आयोग ने IPC की धारा 420 और 468 के तहत कार्रवाई की चेतावनी दी है, जहां दोषियों को 7 साल तक की सजा हो सकती है।

सरकार की ओर से अब फेशियल डिडुप्लीकेशन और जियो-फेंसिंग जैसे कदम उठाए जा रहे हैं, जहां एक लोकेशन पर 50 से ज्यादा वोटर मिलने पर अलर्ट आएगा। साथ ही, V-Haath ऐप से मतदाता खुद अपना पता GPS से पिन कर सत्यापित कर सकते हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या पंचायत चुनाव से पहले सूची पूरी तरह साफ हो पाएगी?

इस खुलासे ने राजनीतिक दलों को भी हिला दिया है। राहुल गांधी ने 2024 लोकसभा चुनाव में बड़े पैमाने पर वोटर फ्रॉड का आरोप लगाया था, और कहा कि चुनाव आयोग बीजेपी के साथ मिलीभगत में शामिल है। चुनाव आयोग ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि हाउस नंबर जीरो या डुप्लिकेट नाम धोखाधड़ी नहीं हैं। लेकिन महोबा केस में AI ने साफ दिखाया कि मानवीय मिलीभगत हो सकती है, जिसके लिए FIR दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं।

उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची शुद्धिकरण के लिए चुनाव आयोग ने आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग की मदद ली है, और कॉन्ट्रैक्ट एजेंसियों को ब्लैकलिस्ट करने की बात की है। पिछले साल की तुलना में इस साल संदिग्ध वोटर की संख्या ज्यादा है, जो 1 करोड़ के पार पहुंच गई है। यह आंकड़ा राष्ट्रीय स्तर पर चुनावी पारदर्शिता की चुनौती को दर्शाता है।

क्या आपको लगता है कि AI जैसे टूल चुनावी सिस्टम को पूरी तरह पारदर्शी बना सकते हैं? या फिर मानवीय हस्तक्षेप अब भी बड़ा खतरा है? अपनी राय कमेंट्स में शेयर करें, और इस लेख को अपने दोस्तों के साथ शेयर करके जागरूकता फैलाएं।

FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)

1. महोबा में यह धांधली कहां पकड़ी गई?
यह मामला जैतपुर गांव में सामने आया, जहां तीन कमरों वाले एक मकान में 4271 वोटर दर्ज थे।

2. चुनाव आयोग ने क्या कार्रवाई की है?
आयोग ने बीएलओ को 48 घंटे में फिजिकल जांच के आदेश दिए और IPC धाराओं के तहत FIR की बात की है।

3. क्या यूपी में ऐसी गड़बड़ी पहले भी हुई है?
हां, 2024 लोकसभा चुनाव में भी 1 करोड़ संदिग्ध वोटर मिले थे, और महादेवपुरा जैसे क्षेत्रों में आरोप लगे।

4. मतदाता अपनी सूची कैसे जांचें?
NVSP पोर्टल, Voter Helpline ऐप या 1950 हेल्पलाइन से EPIC नंबर डालकर पता सत्यापित करें।

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