डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय व्यापार में हलचल मचा दी है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ने जापान और साउथ कोरिया पर 25% टैरिफ (Tariff) लगाने का ऐलान किया है। यह कदम उनके ‘अमेरिका फर्स्ट’ (America First) एजेंडे का हिस्सा माना जा रहा है। इस फैसले से न केवल इन देशों के साथ व्यापारिक संबंध प्रभावित होंगे, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी इसका असर पड़ सकता है।

क्या है ‘टैरिफ वॉर’ और इसका असर?

टैरिफ वॉर (Tariff War) का मतलब है कि एक देश दूसरे देश से आयातित वस्तुओं पर अतिरिक्त शुल्क लगाता है। इसका उद्देश्य घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देना और विदेशी वस्तुओं को महंगा बनाना होता है। हालांकि, इसका नकारात्मक प्रभाव भी होता है, जैसे कि उपभोक्ताओं को महंगे उत्पाद खरीदने पड़ते हैं और व्यापारिक संबंध खराब हो जाते हैं।
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल के दौरान भी चीन के साथ टैरिफ वॉर शुरू किया था, जिससे वैश्विक व्यापार पर गहरा असर पड़ा था। अब जापान और साउथ कोरिया पर 25% टैरिफ लगाने का फैसला उनके पुराने रुख को दोहराता है।

जापान और साउथ कोरिया पर टैरिफ क्यों?

ट्रंप ने इस टैरिफ का कारण बताते हुए कहा कि जापान और साउथ कोरिया अमेरिकी बाजार में अनुचित लाभ उठा रहे हैं। उनका दावा है कि इन देशों से आयातित वस्तुएं अमेरिकी उद्योगों को नुकसान पहुंचा रही हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला ट्रंप के 2024 के राष्ट्रपति चुनाव अभियान का हिस्सा हो सकता है। ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के तहत वे अमेरिकी मतदाताओं को यह संदेश देना चाहते हैं कि वे घरेलू उद्योगों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।

वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

इस टैरिफ वॉर का असर केवल अमेरिका, जापान और साउथ कोरिया तक सीमित नहीं रहेगा। वैश्विक व्यापार पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  1. आयात-निर्यात में गिरावट: टैरिफ बढ़ने से जापान और साउथ कोरिया से अमेरिका को होने वाले निर्यात में कमी आ सकती है।
  2. उपभोक्ता कीमतों में वृद्धि: अमेरिकी उपभोक्ताओं को जापान और साउथ कोरिया से आयातित वस्तुएं महंगी मिलेंगी।
  3. वैश्विक व्यापार तनाव: अन्य देश भी इस कदम का जवाब देने के लिए टैरिफ बढ़ा सकते हैं, जिससे व्यापारिक तनाव बढ़ सकता है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इस तरह के कदम से अमेरिका को दीर्घकालिक लाभ नहीं होगा। जापान और साउथ कोरिया जैसे देशों के साथ व्यापारिक संबंध खराब होने से अमेरिका को तकनीकी और औद्योगिक क्षेत्र में नुकसान हो सकता है।
इसके अलावा, यह कदम वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (WTO) के नियमों के खिलाफ भी हो सकता है। यदि जापान और साउथ कोरिया इस मामले को WTO में ले जाते हैं, तो अमेरिका को कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

क्या है ट्रंप की रणनीति?

डोनाल्ड ट्रंप का यह कदम उनके राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा माना जा रहा है। 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में वे अपनी ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति को फिर से प्रमुख मुद्दा बना रहे हैं।
उनका मानना है कि इस तरह के फैसले से वे अमेरिकी मतदाताओं का समर्थन हासिल कर सकते हैं, खासकर उन क्षेत्रों में जहां घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से नुकसान हो रहा है।
Share.