सुप्रीम कोर्ट ने JSW स्टील लिमिटेड को भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड (BPSL) के अधिग्रहण की मंजूरी दे दी है। यह 20,000 करोड़ रुपये का सौदा भारत के सबसे बड़े और लंबे समय तक चलने वाले दिवालियापन मामलों में से एक था। इस ऐतिहासिक फैसले ने न केवल JSW स्टील को राहत दी है बल्कि भारतीय कॉर्पोरेट जगत में एक नई मिसाल भी कायम की है। भूषण पावर एंड स्टील, जो एक समय भारत की प्रमुख स्टील कंपनियों में शामिल थी, भारी कर्ज में डूबने और वित्तीय संकट का सामना करने के बाद दिवालिया हो गई थी। इसके बाद इसे दिवालिया समाधान प्रक्रिया (Corporate Insolvency Resolution Process – CIRP) के तहत रखा गया। JSW स्टील ने इस कंपनी को खरीदने के लिए 20,000 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। हालांकि, इस प्रक्रिया में कई कानूनी अड़चनें आईं। पहले राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) और फिर राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) ने JSW स्टील की बोली को मंजूरी दी थी। लेकिन यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, जहां यह लंबे समय तक अटका रहा।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपने फैसले में JSW स्टील को भूषण पावर एंड स्टील के अधिग्रहण की अनुमति दी। कोर्ट ने कहा कि यह अधिग्रहण दिवालिया समाधान प्रक्रिया के तहत पूरी तरह वैध है और इससे कंपनी को घाटे से उबारने में मदद मिलेगी। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर इस अधिग्रहण को रोका जाता, तो इससे भारतीय कॉर्पोरेट दिवालियापन कानून (IBC) की प्रक्रिया पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता। मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यह फैसला न केवल भूषण पावर एंड स्टील के पुनरुद्धार के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ होगा। JSW स्टील, जो पहले से ही भारत की सबसे बड़ी निजी क्षेत्र की स्टील कंपनियों में से एक है, इस अधिग्रहण के बाद और मजबूत हो जाएगी। भूषण पावर एंड स्टील के अधिग्रहण से JSW स्टील की उत्पादन क्षमता में भारी इजाफा होगा। JSW स्टील के चेयरमैन सज्जन जिंदल ने इस फैसले पर खुशी जताते हुए कहा, “यह हमारे लिए एक बड़ी जीत है। यह अधिग्रहण न केवल हमारी कंपनी को मजबूत करेगा, बल्कि भारतीय स्टील उद्योग को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।”

यह फैसला भारतीय दिवालियापन और दिवालियापन संहिता (IBC) के लिए भी एक बड़ी जीत है। IBC को 2016 में लागू किया गया था ताकि वित्तीय संकट में फंसी कंपनियों को पुनर्जीवित किया जा सके। भूषण पावर एंड स्टील का मामला IBC के तहत सबसे लंबे समय तक चलने वाले मामलों में से एक था। इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि IBC की प्रक्रिया न केवल प्रभावी है, बल्कि यह भारतीय कॉर्पोरेट जगत में विश्वास भी पैदा करती है। भूषण पावर एंड स्टील, जो पहले घाटे में चल रही थी, अब JSW स्टील के अधीन आने के बाद मुनाफे में आ सकती है। JSW स्टील ने पहले ही संकेत दिया है कि वह भूषण पावर एंड स्टील के संचालन को बेहतर बनाने के लिए नई तकनीक और निवेश लाएगी।

 

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