भारत सरकार ने हाल ही में 90 करोड़ रुपये की क्रिप्टोकरेंसी जब्त की है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दावा किया है कि यह कार्रवाई WhatsApp मैसेज और अन्य डिजिटल माध्यमों के जरिए की गई। सरकार ने टैक्स चोरी और काले धन का पता लगाने के लिए टेक्नोलॉजी का सहारा लिया है। इस घटना ने डिजिटल प्राइवेसी और एन्क्रिप्शन को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है।
वित्त मंत्री ने बताया कि सरकार ने टैक्स चोरी और अवैध लेन-देन का पता लगाने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का उपयोग किया। WhatsApp चैट्स और अन्य एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप्स के जरिए 90 करोड़ रुपये की क्रिप्टोकरेंसी का पता लगाया गया। यह कार्रवाई सरकार की नई टेक्नोलॉजी-आधारित निगरानी प्रणाली का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य टैक्स चोरी और काले धन को रोकना है।
WhatsApp की प्राइवेसी पर सवाल
Meta के स्वामित्व वाले WhatsApp ने कहा है कि उसका एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन यूजर्स के बीच मैसेज को पूरी तरह से प्राइवेट रखता है। हालांकि, सरकार ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि इन मैसेजेस तक कैसे पहुंचा गया। इस घटना ने डिजिटल प्राइवेसी और एन्क्रिप्शन को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
WhatsApp ने अपने बयान में कहा, “हमारा एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन यूजर्स की प्राइवेसी को सुरक्षित रखता है। किसी भी तीसरे पक्ष, यहां तक कि WhatsApp भी, इन मैसेजेस को नहीं पढ़ सकता।” हालांकि, सरकार की इस कार्रवाई ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर यूजर्स की प्राइवेसी पूरी तरह से सुरक्षित है?
टैक्स चोरी और काले धन पर सरकार की सख्ती
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार टैक्स चोरी और काले धन को रोकने के लिए नई टेक्नोलॉजी का उपयोग कर रही है। इस साल अब तक 250 करोड़ रुपये की बेहिसाब संपत्ति का पता लगाया गया है। इनमें से 90 करोड़ रुपये की क्रिप्टोकरेंसी WhatsApp मैसेज और अन्य डिजिटल माध्यमों के जरिए पकड़ी गई।
सरकार ने यह भी कहा कि डिजिटल लेन-देन और क्रिप्टोकरेंसी पर नजर रखने के लिए नई निगरानी प्रणाली लागू की गई है। इस प्रणाली का उद्देश्य टैक्स चोरी को रोकना और डिजिटल लेन-देन को पारदर्शी बनाना है।
डिजिटल प्राइवेसी पर बहस
इस घटना ने डिजिटल प्राइवेसी को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को टैक्स चोरी और काले धन को रोकने के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग करना चाहिए, लेकिन इसे यूजर्स की प्राइवेसी का उल्लंघन किए बिना करना चाहिए।
डिजिटल प्राइवेसी के विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की कार्रवाइयों से यूजर्स का भरोसा डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर कम हो सकता है। हालांकि, सरकार का कहना है कि यह कार्रवाई केवल टैक्स चोरी और अवैध लेन-देन को रोकने के लिए की गई है।